आईपीएस नवनीत भसीन की चंबल अंचल मे लोकप्रीयता का यह आलम है कि चाहे वह मुरैना एसपी रहे हो या फिर भिण्ड एसपी जहां भी गए कानून व्यवस्था को इस कदर सुधारा की लोग उनको हमेशा याद रखेंगे।भिण्ड मे गिने चुने एसपी को लोग याद रखते है जिनमे गाजीराम मीणा,शाजिद फरीद शापू,राजाबाबू सिंह के साथ अगर किसी का नाम आता है तो वह है नवनीत भसीन ,नवनीत भसीन द्वारा आम लोगो को साथ मे लेकर समाज मे गलत काम करने वालो को ठीक किया है।भिण्ड मे बोर्ड की परिक्षाओ मे नकल रोकने मे उनकी महती मूमिका है।कोई कल्पना भी नही कर सकता था कि नकल को रोका जा सकता है वह भी भिण्ड मे, लेकिन उन्होने यह कारनामा कर दिखाया और भिण्ड को एक अलग पहचान दी।एंटी माफिया अभियान तो अभी चल रहा है लेकिन उन्होने तो एंटी शिक्षा माफिया उसी समय चलाय़ा था और शिक्षा माफियो को बता दिया था कि अब शिक्षा का व्यापार नही चलेगा।भसीन ने मई 2015 में भिंड एसपी की कमान संभाली। भिंड ऐसा जिला है जहां सबसे ज्यादा अवैध हथियार एवं वाहनों की चोरी होती है। भसीन ने भिंड के ऐसे गांवों का दौरा किया, जहां कभी पुलिस का आला अधिकारी नहीं पहुंचा। उन्होंने डेढ़ साल के कार्यकाल में भिंड के गांवों में 2500 से ज्यादा विजिटिंग कार्ड बांटे, परिणाम यह हुआ कि संगीन अपराधों की सूचना सीधे एसपी को मिलने लगी। पुलिस ने अवैध कट्टे की फैक्ट्री पकड़ी। नकल माफिया पर तत्कालीन कलेक्टर टी इलैया राजा के साथ मिलकर अंकुश लगाया। भिंड के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था। भिण्ड के बाद वह खण्डवा चले गए, खण्डवा मे भी उन्होने अपनी कार्यशैली का ऐसा जादू विखैरा कि जब उनका स्थानांतरण ग्वालियर हुआ तो लोगो के मन मे निराशा छा गई लेकिन एक अधिकारी का आनाजाना तो रहता है तो वह ग्वालियर आ गए।ग्वालियर मे उन्होने बदमाशो को बता दिया कि अगर कानून की इज्जत नही करोगे तो यहां रह नही पाओगे, देश में भिंड, ग्वालियर जिले की पहचान हत्या, अपहरण और लूट जैसे संगीन अपराधों के लिए होती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में इन जिलों में संगीन अपराधों का ग्राफ तेजी से गिरा है। कभी विंध्य अंचल में सीधी जिले के एसपी रहे आईपीएस नवनीत भसीन के जनसंवाद के वजह से ही ये संभव हो सका है। भिंड एसपी रहते उन्होंने हर गांव में संपर्क सूत्र बनाया। यही फंडा उन्होंने ग्वालियर एसपी के रूप में अपनाया है। और हुआ भी यही कि लगातार ग्वालियर मे अपराध का ग्राफ कम होता गया।2009 बैच के आईपीएस अधिकारी नवनीत भसीन को पिछले साल 2 अप्रैल के आंदोलन के बाद विपरीत हालात में ग्वालियर एसपी की कमान सौंपी गई थी। उन्होंने जनसंवाद को प्राथमिकता दी। नतीजतन हत्या, अपहरण, दुष्कर्म, बलवा जैसे संगीन अपराधों में गिरावट आई है। खास बात यह है कि दलित आंदोलन के बाद ग्वालियर में कई बार जातीय संघर्ष के हालात बने, विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन एक भी बार कानून व्यवस्था नहीं डगमगाई। इतना ही नहीं लूट, डकैती, चैन लूट, गृहभेद, चोरी की घटनाओं मे कमी आई है। पुलिस ने पिछले कुछ महीनों में करोडो की स्मैक जब्त की है। ग्वालियर प्रदेश का एक मात्र ऐसा जिला है, जहां संगीन अपराधों का ग्राफ सबसे ज्यादा गिरा है।बाकई ग्वालियर के लिए एक एसपी मिला है जो हर दिन मे राज करता है