ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज में डीन के पद पर नियुक्ति को लेकर रस्साकशी हो रही है. कभी आवेदन की विज्ञप्ति पर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं तो कभी योग्यता की नियम और शर्तों पर.जीआरएमसी मे दो माह से रिक्त डीन के पद पर नियुक्ति के लिए 20 जनवरी को इंटरव्यू होना था लेकिन विवाद के चलते वह भी टल गया है.इस पद के लिए डॉ. शशि गांधी, डॉ. केके तिवारी और डॉ. अशोक मिश्रा दावेदार हैं, लेकिन उससे पहले ही एक बार फिर नियुक्ति को लेकर अपनाई जा रही प्रक्रिया को लेकर विवाद शुरू हो गया है. नियुक्ति में टाइम बाउंड प्रोफेसर के पीरियड को मान्य नहीं किए जाने की बात कही गई थी, लेकिन अब यह तय नहीं हो पा रहा है कि टाइम बाउंड प्रोफेसर के कार्यकाल को माना जाए या नहीं. इसी बीच ऑटोनोमस बॉडी के तहत भर्ती हुए डॉक्टरों ने संभागायुक्त एमबी ओझा से मिलकर आपत्ति दर्ज कराई कि हमें डीन पद के लिए आवेदन करने से क्यों दूर रखा गया है, जबकि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज ऑटोनोमस हैं. संभागायुक्त एमबी ओझा का कहना है कि एमसीआई के नियमानुसार ही डीन की नियुक्ति होगी. जबकि मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन इसके विरोध में है. एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर सुनील अग्रवाल का कहना है कि इन नियमों के अनुसार भर्ती हुई तो 95% डॉक्टर से बाहर हो जाएंगे.जबकी: एमसीआई के नियमों के अनुसार ही मध्यप्रदेश के रतलाम मेडिकल कॉलेज में भी डीन की नियुक्ति हुई है . आवेदक डॉक्टर का कहना है कि प्रदेश की दूसरे मेडिकल कॉलेजों में भी एमसीआई का नियम ही लागू होता है. ऐसे में जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वह ठीक नहीं है. उनका यह भी कहना है कि मेडिकल कॉलेज में जो डॉक्टर टीचर एसोसिएशन बनाकर विरोध कर रहे हैं वो एसोसिएशन ही अवैध है पिछले कई सालों से चुनाव नहीं हुए हैं. यह लोग कॉलेज को बदनाम करने की कोशिश में जुटे हैं और केवल अपने फायदे के लिए डीन जैसे गरिमामय पद पर विवाद खड़ा कर रहे हैं. डीन की नियुक्ति में सन 87 का एमसीआई नियम है. जीअारएमसी ने डीन की भर्ती के लिए जो विज्ञापन जारी किया है उसमें लिखा है कि डीन के लिए वही आवेदन कर सकता है जिसकी नियुक्ति 1987 भर्ती नियम के तहत हुई हो.
नियम है कि जो पहले शासकीय चिकित्सक हैं वरिष्ठता सूची में शासकीय का विचार किया जाएगा उसके बाद ऑटोनोमस पर होगा . नियम यह भी कहता है कि एमसीआई के साथ ही सारे मेडिकल कॉलेज चलेंगे , फिर भी कुछ डॉक्टर इसके विरोध में हैं. दर्शन डीन के पद को लेकर कुछ डॉक्टरों की नजर इसलिए भी है क्योंकि गजराराजा और कमला राजा दो बड़े अस्पताल हैं जहां से निजी अस्पतालों का संपर्क बना रहता है ऐसे में डीन की सख्ती हुई तो कुछ डॉक्टरों को निजी अस्पतालों में समय देना भारी पड़ जाएगा और उनकी मोटी कमाई बंद हो जाएगी. इसके अलावा डीन को फाइनेंसियल अथॉरिटी है. यही वजह है डीन जैसे पद के लिए कुछ नए डॉक्टर भी जोर आजमाइश में जुटे हुए हैं